आपातकाल की 50वीं बरसी पर डॉ. संबित पात्रा का प्रहार: कांग्रेस को लोकतंत्र पर जवाब देने की जरूरत

आपातकाल की 50वीं बरसी पर डॉ. संबित पात्रा का प्रहार: कांग्रेस को लोकतंत्र पर जवाब देने की जरूरत
✍️ बुंदेली टाइम्स न्यूज़ डेस्क | 25 जून 2025


भारत के इतिहास का एक ऐसा काला अध्याय जिसे लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात कहा जाता है – 25 जून 1975 को देश में आपातकाल घोषित किया गया था। इस भयावह घटना की 50वीं बरसी पर भारतीय जनता पार्टी ने “संविधान हत्या दिवस” के रूप में देशभर में जागरूकता अभियान चलाया। इसी कड़ी में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद डॉ. संबित पात्रा ने पार्टी मुख्यालय से मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस और उनके नेतृत्व पर तीखा प्रहार किया।


🟥 आपातकाल: लोकतंत्र पर हमला

डॉ. पात्रा ने कहा, “आज से 50 साल पहले ठीक इसी दिन भारत के लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी ने देश में आपातकाल थोपकर संविधान और नागरिक अधिकारों की हत्या कर दी थी।”

उन्होंने इसे महज ऐतिहासिक चर्चा न मानते हुए भावी पीढ़ियों को सच से रूबरू कराने की जिम्मेदारी बताया। “हमारा दायित्व है कि हम देश को उस त्रासदी से अवगत कराएं ताकि इतिहास की वह गलती फिर न दोहराई जाए,” उन्होंने कहा।


🟩 ‘संविधान हत्या दिवस’ की प्रासंगिकता

भाजपा इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मना रही है। डॉ. पात्रा ने बताया कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे रातों-रात लोकतंत्र को कुचल दिया गया। “लगभग 1.10 लाख से ज्यादा लोगों को जेल में बंद कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई और विरोध की हर आवाज को दबा दिया गया,” उन्होंने कहा।

उन्होंने बताया कि तत्कालीन सरकार ने बिना कैबिनेट की मंजूरी के देश पर आपातकाल लागू कर दिया और अखबारों की प्रिंटिंग मशीनों की बिजली काट दी गई, ताकि जनता तक सच न पहुंच सके।


🟨 मल्लिकार्जुन खड़गे की टिप्पणी पर पलटवार

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा आपातकाल को “50 साल पुरानी बात” बताकर खारिज करने पर डॉ. पात्रा ने कड़ा विरोध जताया। उन्होंने कहा, “खड़गे जी कहते हैं कि जो स्वतंत्रता संग्राम में शामिल नहीं हुए, उन्हें इस पर बोलने का अधिकार नहीं। तो क्या वह तय करेंगे कि कौन बोले और कौन नहीं?”

उन्होंने कांग्रेस की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब भाजपा गांधी परिवार की राजनीति और सत्ता की लालसा पर सवाल उठाती है, तो उसे नाटक करार दिया जाता है। पर जब कांग्रेस भाजपा के इतिहास पर सवाल उठाती है, तो वह सत्य हो जाता है?”


🟦 गांधी परिवार और स्वतंत्रता संग्राम का सवाल

डॉ. पात्रा ने कटाक्ष करते हुए पूछा, “खड़गे जी को अब बताना चाहिए कि सोनिया गांधी का परिवार स्वतंत्रता संग्राम में कहां शामिल था? उनका योगदान कहां था?” यह सवाल आज के राजनीतिक विमर्श को गांधी परिवार की विरासत पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करता है।


🟧 लोकतंत्र का मज़ाक या सच्चाई का सामना?

डॉ. पात्रा ने कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश और मल्लिकार्जुन खड़गे पर आरोप लगाया कि वे आपातकाल से उत्पन्न दर्द को नहीं समझते। “शायद इन नेताओं को नहीं पता कि कितने लोगों को यातनाएं दी गईं, कितनों की जान गई,” उन्होंने कहा।

उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस जैसी पार्टी, जिसमें खुद आंतरिक लोकतंत्र नहीं है, वह भला लोकतंत्र का मूल्य क्या समझेगी?


🟥 गरीबी हटाओ बनाम गरीबी मिटाओ

डॉ. पात्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की तुलना इंदिरा गांधी के “गरीबी हटाओ” नारे से करते हुए कहा कि “मोदी जी ने नारा नहीं दिया, बल्कि 25 करोड़ से ज्यादा लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाकर दिखाया है।”

उन्होंने खड़गे द्वारा देश में अमीर-गरीब की खाई बढ़ने के बयान को खारिज करते हुए विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें भारत में गरीबी उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति का उल्लेख है।

अमित शाह जी ने कहा –


🟨 भाजपा की जिम्मेदारी और इरादा

डॉ. पात्रा ने जोर देते हुए कहा कि भाजपा, दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने के नाते, इस ऐतिहासिक त्रासदी को देशवासियों के सामने लाना अपना कर्तव्य मानती है। उन्होंने कहा, “हम सिर्फ सत्ता की राजनीति नहीं कर रहे हैं, हम आने वाली पीढ़ियों को चेतावनी दे रहे हैं कि सत्ता के लालच में फिर कोई लोकतंत्र न कुचले।”


🟩 इंडी गठबंधन की विडंबना

डॉ. पात्रा ने यह भी कहा कि कांग्रेस आज उन दलों से समर्थन मांग रही है, जिनके नेता डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे महापुरुषों का अपमान कर चुके हैं। “संविधान पर भाषण देने से पहले इन दलों को तय करना चाहिए कि उनका खुद का आपातकाल पर रुख क्या है?” उन्होंने कहा।


📌 निष्कर्ष: आपातकाल की याद क्यों जरूरी है?

आपातकाल केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं थी, वह एक चेतावनी है। सत्ता की लालसा कैसे देश को अधिनायकवाद की ओर ले जा सकती है, इसका उदाहरण है आपातकाल। डॉ. संबित पात्रा ने आज स्पष्ट कर दिया कि भाजपा लोकतंत्र की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और वह देश को बार-बार आगाह करती रहेगी कि कहीं फिर कोई 25 जून न लौट आए।


👉 बुंदेली टाइम्स आपसे आग्रह करता है कि इस लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए जागरूक रहें, इतिहास को पढ़ें और समझें।

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