मक्के की खेती की संपूर्ण जानकारी: बुआई से कटाई तक पूरी प्रक्रिया

🌽 मक्के की खेती की संपूर्ण जानकारी: बुआई से कटाई तक पूरी प्रक्रिया 🌾


भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां मक्का (मकई या कॉर्न) एक प्रमुख खाद्यान्न फसल के रूप में उगाई जाती है। मक्का न केवल मानव भोजन के लिए बल्कि पशु चारे और औद्योगिक उपयोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है। यदि आप मक्के की खेती से अच्छा उत्पादन लेना चाहते हैं तो आपको इसकी खेती की वैज्ञानिक विधियों को अपनाना होगा। इस लेख में हम मक्के की खेती की शुरुआत से लेकर कटाई तक की संपूर्ण प्रक्रिया को विस्तार से समझाएंगे, जिसमें बुआई की मात्रा, खाद प्रबंधन, सिंचाई, रोग नियंत्रण और कटाई की विधि शामिल हैं।


🌱 मक्के की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

मक्का गर्म और नम जलवायु को पसंद करता है। इसे मुख्य रूप से खरीफ (जून-जुलाई), रबी (अक्टूबर-नवंबर) और जायद (फरवरी-मार्च) में बोया जा सकता है।
सर्वोत्तम तापमान:

  • अंकुरण के लिए: 21°C से 27°C

  • विकास के लिए: 30°C से 35°C

  • कटाई के समय: सूखा मौसम सबसे अच्छा होता है।


🧪 उपयुक्त भूमि और तैयारी

भूमि का चयन:
मक्के की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है जिसमें जल निकासी की सुविधा हो। pH मान 5.5 से 7.5 तक उपयुक्त होता है।

भूमि की तैयारी:

  1. पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें।

  2. 2-3 बार कल्टीवेटर से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें।

  3. अंतिम जुताई से पहले 10-15 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें।

  4. खेत को समतल करें ताकि पानी एक समान फैले।


🌾 बीज की मात्रा और बुआई का तरीका

बीज की मात्रा:

  • हाइब्रिड किस्मों के लिए: 18-20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

  • देशी किस्मों के लिए: 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

बीज उपचार:
बुआई से पहले बीज को थायरम या कार्बेन्डाजिम (2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज) से उपचारित करें, जिससे फफूंदी जनित रोगों से बचाव हो सके।

बुआई की विधि:

  • कतार से कतार की दूरी: 60 सेमी

  • पौधे से पौधे की दूरी: 20 सेमी

  • बीज की गहराई: 4-5 सेमी

  • एक गड्ढे में 1-2 बीज डालें

बुआई का समय:

  • खरीफ: जून मध्य से जुलाई

  • रबी: अक्टूबर

  • जायद: फरवरी-मार्च


🌿 उन्नत किस्में

  • खरीफ के लिए: HQPM-1, Vivek Hybrid 9, Bio 9681

  • रबी के लिए: Suwan-1, Ganga-5

  • जायद के लिए: HQPM 5, Pusa Composite 3


💧 सिंचाई प्रबंधन

मक्का की फसल को सामान्यतः 4-5 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है।

  1. पहली सिंचाई: बुआई के 20-25 दिन बाद (पत्तियों की अवस्था)

  2. दूसरी सिंचाई: फूल निकलने के समय

  3. तीसरी सिंचाई: दाना बनने की अवस्था में

  4. चौथी सिंचाई: दाना पकने की अवस्था में

ध्यान दें: पानी की कमी फूल आने और दाना बनने के समय नहीं होनी चाहिए।


🧴 उर्वरक प्रबंधन

अच्छी उपज के लिए उचित मात्रा में उर्वरक देना आवश्यक है। एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए उर्वरकों की मात्रा इस प्रकार है:

खाद का प्रकार मात्रा (प्रति हेक्टेयर)
नत्रजन (N) 150 किलोग्राम
फास्फोरस (P) 60 किलोग्राम
पोटाश (K) 40 किलोग्राम

खाद देने की विधि:

  • 1/3 नत्रजन + पूरी फास्फोरस + पूरी पोटाश बुआई के समय दें।

  • बाकी 2/3 नत्रजन को दो भागों में बाँटकर 30 और 50 दिन बाद दें।

सूक्ष्म पोषक तत्व:

  • जिंक की कमी को पूरा करने के लिए जिंक सल्फेट (25 किग्रा/हेक्टेयर) का प्रयोग करें।


🐛 रोग एवं कीट नियंत्रण

1. तना छेदक कीट:

  • लक्षण: तने में छेद और सूखती पत्तियां

  • नियंत्रण: क्लोरोपायरीफॉस या क्विनालफॉस 1.5 मिली/लीटर पानी में छिड़काव

2. पत्तियों का झुलसा रोग:

  • लक्षण: पत्तियों पर भूरे धब्बे

  • नियंत्रण: मैंकोजेब 2.5 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

3. फसल पर उग आने वाला फफूंद (स्मट रोग):

  • बीजोपचार से रोकथाम संभव

  • रोगग्रस्त पौधों को नष्ट करें।


🌾 खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार फसल की उपज को 30-40% तक कम कर सकते हैं। बुआई के 20-25 दिन बाद खेत में निराई-गुड़ाई करें।

रसायनिक नियंत्रण:

  • एट्राजीन 1 किग्रा को 600 लीटर पानी में मिलाकर बुआई के बाद छिड़कें।


🔪 कटाई और उत्पादन

कटाई का समय:

  • जब मक्का के दाने सख्त हो जाएं और बालियाँ सूखने लगें

  • पौधों की नमी 20-25% हो जाए तब कटाई करें

  • इसके बाद भुट्टों को सुखाकर भंडारण करें

उपज:

  • हाइब्रिड किस्मों से 60-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

  • देशी किस्मों से 30-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर


🏭 भंडारण

भुट्टों को अच्छी तरह सुखाने के बाद भंडारण करें।
भंडारण में नमी 12% से कम होनी चाहिए।
बोरी में भरकर ठंडी और सूखी जगह में रखें, ताकि कीट और फफूंद न लगें।


📈 लाभकारी सुझाव

  1. फसल चक्र अपनाएं – मक्का के बाद गेहूं, दलहन या सब्जियां बो सकते हैं।

  2. मृदा परीक्षण कराकर ही उर्वरकों की मात्रा तय करें।

  3. सरकारी योजनाओं व अनुदान का लाभ उठाएं।

  4. समय पर बीमा और ऋण सुविधा प्राप्त करें।


🔚 निष्कर्ष

मक्के की खेती मेहनत और ज्ञान दोनों का संतुलन है। यदि आप उपयुक्त किस्म, समय पर बुआई, उर्वरक, सिंचाई और कीट नियंत्रण की वैज्ञानिक विधियों का पालन करते हैं तो यह फसल आपको अधिक उत्पादन और लाभ दे सकती है। मक्का एक बहुउपयोगी फसल है जिसका भविष्य काफी उज्ज्वल है।


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