अभिषेक शिल्पी भार्गव ने वेदिका फाउंडेशन की रखी नींव, पूरे देश में बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए करेगा कार्य

अभिषेक शिल्पी भार्गव ने वेदिका फाउंडेशन की रखी नींव, पूरे देश में बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए करेगा कार्य

वेदिका फाउंडेशनः जन्मजात बीमारी से बीमार बच्चों का कराएगा इलाज, व्यक्तिगत पीड़ा से जन्मा जनसेवा का संकल्प

गढ़ाकोटा जिला सागर श्रीराम साहू

मध्य प्रदेश के जिला सागर की रहली विधान सभा के युवा समाजसेवी अभिषेक भार्गव एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शिल्पी भार्गव ने 3 वर्ष पूर्व अपने जुड़वा बच्चों को लेकर जो पारिवारिक एवं मानसिक पीड़ा झेली, ऐसी पीड़ा किसी और को न हो, इसके लिए उनके द्वारा जन्मजात हृदय रोगी बच्चों के निःशुल्क इलाज कराने उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए वेदिका फाउंडेशन की नींव रखी है। यह फाउंडेशन वेदिका फाउंडेशन उन नन्हें मुन्ने बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए समर्पित रहेगा। जिन्हें जन्मजात हृदय की गंभीर बीमारियां है और जो आर्थिक तंगी और जानकारी के अभाव में अपना इलाज नहीं करा पा रहे हैं। रविवार को 14 मरीजों को निशुल्क इलाज हेतु भोपाल भेजा। जिनमें मरीज तनु पटेल उम्र 2 साल निवासी गढ़ाकोटा, प्रिंस जैन उम्र 26 साल बलेह, पुरुषोत्तम दुबे 58 साल, रामरति दांगी 55 साल बड़गान, हरिशंकर कर्मी 47 साल जूना, करण कुर्मी 50 साल जूना, गोपाल कुर्मी उम्र 66 निवासी जूना, मुकेश रैकवार उम्र 49 साल चौरई, सुनील अहिरवार उम्र 30 साल निवासी सहजपुर कलां मनोहर कोरी 50 साल अंबेडकर वार्ड गढ़ाकोटा, उमा पटेल पटना बुजुर्ग, पवन प्रजापति निवासी धौनाई, लक्ष्मी पटेल उम्र 49 साल शाहपुर, विकास कोरी गांधी वार्ड गढ़ाकोटा, जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल हैं। फाउंडेशन की स्थापना को लेकर अभिषेक भार्गव कहते है कि कभी कभी आपके जीवन का सबसे बड़ा दर्द आपके जीवन का असल उद्देश्य निर्धारित करने में सबसे बड़ा सहयोगी सिद्ध होता है। मेरे भी जीवन में विगत कुछ वर्षों में ऐसा ही कुछ घटित हुआ है। 2021 में दो जुड़वा बच्चे एक बेटा और एक बेटी के रूप में मेरे परिवार में आए थे। शुरू से मेरी बहुत इच्छा रही थी की मुझे एक बेटी जरूर हो। परमात्मा ने इच्छा पूरी की हम सभी लोग बहुत प्रसन्न थे खुशियाँ मना रहे थे परंतु जन्म के अगले ही दिन अस्पताल में डॉक्टरों ने जो बात कहीं वाह शब्दों में आज तक नहीं भूल पाता हूँ। उन्होंने मुझे मेरी बिटिया के जन्मजात हृदय रोग के विषय में बताया और कहा कि इसका इलाज संभव नहीं है। संभवतः यह बच्चा कुछ दिन ही जीवित रह पाएगा साथ ही इसका इलाज भी पूर्णतः संभव नहीं है। डॉक्टरों की कहने के बाद मैं अंदर से बहुत टूट चुका था और भगवान के ऊपर ही सारी चीजों को मैंने छोड़ दिया था परंतु मेरी पत्नी उसने हार नहीं मानी। और अपने माध्यम से ही बेटी के उपचार के लिए डॉक्टरों से संपर्क करती रही। लगभग एक साल की उम्र में दिल्ली में एस्कॉर्ट्स फोर्टिस हॉस्पिटल में बिटिया का ऑपरेशन हुआ। इलाज के दौरान अस्पताल में लगभग एक महीने तक लगातार आना जाना हुआ तो मैंने देखा कि सिर्फ मैं ही नहीं मेरे जैसे न जाने कितने माता पिता अपने छोटे छोटे बच्चों को जिनमें छह माह से लेकर दस बारह साल तक के बच्चे शामिल थे, वह सभी अस्पताल में अपना इलाज करा रहे थे लगातार अस्पताल में आने जाने के कारण परिजनों को परेशान होते हुए देखता था आर्थिक तंगी के कारण सही जानकारी न होने के कारण व्यवस्थित अस्पताल में भी परेशानी का सामना करना पड़ता था। जब बिटिया स्वस्थ हुई तो मैं उसे वापस लेकर घर आया तो उसके बाद क्षेत्र में भी मैंने देखा कि कई परिजन अपने छोटे छोटे बच्चों के इलाज नहीं करवा पा रहा है जब मेरी उनसे बात होती है तो उनकी पीड़ा निकल कर सामने आती है। अभिषेक भार्गव ने बताया कि सबसे बड़ा कारण जानकारी का अभाव है दूसरा आर्थिक तंगी। इन दोनों कारणों के चलते ही परिवार अपने नन्हे-मुन्ने बच्चों को अपनी आँखों के सामने दम तोड़ते हुए देखता है। जब मैंने यह पीड़ा स्वयं महसूस की तब मन में एक विचार आया कि क्यों न एक ऐसी संस्था का निर्माण किया जाए। जिसमें इन नन्हें मुन्ने बच्चों को उचित इलाज की व्यवस्था कर र सके।निःशुल्क इलाज की व्यवस्था कर सकें। साथ ही परिवार के लिए उचित सलाह और मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं। बच्चों का चेकअप हो बच्चों का ट्रीटमेंट हो, परिवार के लिए आर्थिक सहयोग हो, इन सारे विचारों को ध्यान में रखते हुए, मैंने और मेरी पत्नी शिल्पी भार्गव ने एक फाउंडेशन का निर्माण करने का विचार किया है। जिसमें हम अपने निजी साधनों से बच्चों और उनके परिजनों को उचित इलाज और मार्गदर्शन प्रदान कर सके।हमें इस विचार को आगे आगे बढ़ाने के लिए विषय विशेषज्ञ चिकित्सक और परिवार का सहयोग करने के लिए वॉलेंटियर्स की आवश्यकता है। जो अपना अमूल्य समय और सलाह और मार्गदर्शन इस फाउंडेशन को प्रदान कर सकें।

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