ब्राह्मणों के गांव में कथा वाचन करने गए यादव युवक के साथ अमानवीय व्यवहार, बाल काटे, मूत्र छिड़का — चार आरोपी गिरफ्तार

ब्राह्मणों के गांव में कथा वाचन करने गए यादव युवक के साथ अमानवीय व्यवहार, बाल काटे, मूत्र छिड़का — चार आरोपी गिरफ्तार

रिपोर्ट: बुन्देली टाइम्स | स्थान: ग्राम दादापुर, थाना बकेवर, जिला इटावा (उत्तर प्रदेश)

उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद स्थित थाना बकेवर क्षेत्र के ग्राम दादापुर में एक गंभीर और अमानवीय घटना सामने आई है, जिसमें धार्मिक आयोजन के दौरान जातीय भेदभाव और शारीरिक प्रताड़ना का घृणित उदाहरण देखने को मिला। यहां एक यादव समुदाय से ताल्लुक रखने वाले युवक संत सिंह यादव और उनके साथी के साथ केवल इसलिए दुर्व्यवहार किया गया क्योंकि वे ब्राह्मणों के गांव में भागवत कथा वाचन करने पहुंचे थे।

इस घटना ने न सिर्फ सामाजिक समरसता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि जातिवादी सोच किस कदर आज भी ग्रामीण भारत के कुछ इलाकों में जड़ें जमाए हुए है। हालांकि, राहत की बात यह रही कि घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आई और चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।


घटना का संक्षिप्त विवरण: कैसे हुआ उत्पीड़न?

घटना 21 जून 2025 से शुरू हुई जब इटावा के समीप स्थित गांव दादापुर में भागवत कथा का आयोजन किया गया था। आयोजक ब्राह्मण समाज से थे और उन्होंने कथा के लिए कथावाचक मुकुट मणि शास्त्री को बुलाया था, जो स्वयं यादव समुदाय से हैं। मुकुट मणि के सहायक के रूप में संत सिंह यादव, जो पूर्व में शिक्षक रह चुके हैं, कथा में सम्मिलित हुए।

संत सिंह यादव ने बताया कि वह अब धार्मिक आयोजनों में कथा-सहायक के रूप में कार्य करते हैं। वे कानपुर से कथा के लिए आए थे और उन्हें आयोजकों ने ही बुलाया था। कथा शुरू हो चुकी थी, पहले दिन श्लोक पाठ भी हो गया था। लेकिन उसी शाम कुछ ग्रामीणों को जब कथावाचकों की जाति के बारे में जानकारी मिली, तब मामला बिगड़ गया।


जाति पूछने पर शुरू हुई बदसलूकी

संत सिंह ने बताया कि जब ग्रामीणों ने उनकी जाति पूछी तो उन्होंने कहा कि वे यादव हैं। इस पर कुछ ग्रामीण भड़क गए और कहने लगे कि “तुम यादव होकर ब्राह्मणों के गांव में कैसे गद्दी पर बैठ सकते हो?” यहां तक कि कुछ लोगों ने उन्हें “चमार” कहकर संबोधित किया और जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया।

उन्होंने आधार कार्ड माँगा गया, जो उस समय उनके पास नहीं था। मोबाइल नंबर से पहचान की पुष्टि करने पर उनके बेटे का नाम “राज यादव” सामने आया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वे यादव समुदाय से हैं।

यही नहीं, उन्हें कथित तौर पर यह कहकर पीटा गया कि “ब्राह्मणों के गांव में तुम कथा कहने कैसे आ गए?” और उसके बाद उनसे रातभर मारपीट की गई, बाल काटे गए, और शुद्धिकरण के नाम पर मूत्र छिड़का गया


मूत्र छिड़कने और पांव छुवाने का घिनौना कृत्य

सबसे शर्मनाक बात यह थी कि कथावाचक के पात्रों में शामिल एक महिला (जिन्हें कथानुसार “भाभी” कहा गया) से कथित तौर पर उनका मूत्र मंगवाकर उसे पीड़ित पर छिड़का गया, और यह कहा गया कि “अब तुम पवित्र हो गए हो, क्योंकि ब्राह्मण का मूत्र तुम्हारे ऊपर पड़ गया।”

इसके साथ ही उन पर पैर छुवाने का आरोप भी लगाया गया, जबकि पीड़ित का कहना है कि उन्होंने किसी के पाँव नहीं छुए और न ही ऐसा कोई निर्देश दिया।


पुलिस ने लिया संज्ञान, चार गिरफ्तार

इस वीभत्स घटना का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, थाना बकेवर पुलिस हरकत में आ गई। पीड़ित संत सिंह यादव की पहचान की गई, और उनके द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर मामला दर्ज किया गया।

पुलिस ने मुख्य आरोपी निक्की सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि निक्की नामक युवक पीड़ित के बाल काट रहा है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि आरोपियों के खिलाफ कठोरतम कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें शीघ्र ही जेल भेजा जाएगा।


जातिगत असहिष्णुता का जीता-जागता उदाहरण

यह घटना केवल एक व्यक्ति के साथ हुई बदसलूकी नहीं है, बल्कि यह भारत में आज भी जड़ जमाए हुए जातिवादी सोच और सामाजिक असमानता की खुली पोल खोलती है। जहां एक ओर सरकारें “सबका साथ, सबका विकास” का नारा देती हैं, वहीं ज़मीनी स्तर पर कुछ वर्ग आज भी सामाजिक समरसता को पचा नहीं पा रहे हैं।

एक व्यक्ति को उसकी जाति के आधार पर गाली देना, शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना, और धार्मिक आयोजन से वंचित करना न केवल सामाजिक अपराध है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 15 (भेदभाव का निषेध) का भी उल्लंघन है।


संत सिंह की व्यथा

पीड़ित संत सिंह यादव ने मीडिया को बताया, “हमने कभी यह नहीं सोचा था कि भागवत कथा जैसे पवित्र कार्य के लिए हमसे यह सवाल पूछा जाएगा कि तुम किस जाति के हो? हम पहले शिक्षक थे, अब सेवा भाव से धर्मकार्य करते हैं, लेकिन लोगों की मानसिकता अभी भी उसी पुराने ढांचे में बंधी हुई है।”

उन्होंने आगे कहा, “अगर हमारी जाति ब्राह्मण नहीं है तो क्या हमें धर्म की सेवा करने का अधिकार नहीं है? यह कैसा न्याय है कि एक तरफ सरकारें समानता की बात करती हैं, और दूसरी तरफ हमें गांव में गद्दी पर बैठने तक की इजाजत नहीं?”


प्रशासन की सख्ती और समाज से अपील

पुलिस प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि इस तरह की घटनाओं को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस अधीक्षक कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि दोषियों को कठोर सजा दी जाएगी और पीड़ित को पूरी सुरक्षा दी जाएगी।

साथ ही प्रशासन ने समाज से भी अपील की है कि किसी भी तरह के धार्मिक आयोजन में जाति, धर्म, या वर्ग के आधार पर भेदभाव ना करें। भागवत कथा जैसे आयोजन धर्म और श्रद्धा के प्रतीक होते हैं, ना कि जातिगत श्रेष्ठता की कुर्सी।


क्या अब भी नहीं जागेगा समाज?

यह घटना केवल एक गांव की नहीं, यह पूरे समाज के लिए एक आईना है। आज जब भारत विज्ञान, तकनीक और शिक्षा में नई ऊँचाइयों को छू रहा है, वहीं दूसरी ओर जातिवादी सोच की वजह से धार्मिक आयोजनों तक में घृणा और भेदभाव किया जा रहा है।

यह घटना हम सभी से सवाल करती है — क्या हम सच में एक समान समाज की ओर बढ़ रहे हैं, या सिर्फ दिखावे तक सीमित रह गए हैं?


📌 बुन्देली टाइम्स यह अपील करता है कि सभी धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव न करें और संविधान में दिए गए समानता के अधिकार का सम्मान करें।


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